करवा चौथ (Karwa chauth)का व्रत सुहागिन को क्यूं करनी चाहिए? Karwa chauth ki kahani and vidhi?

17 Aug 2022   |    242

~ M. K.

M. K. answered this.

17 Aug 2022

करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है करवा चौथ को सबसे बड़ी चौथ माना गया है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती है और करवा चौथ की कहानी सुनती है। यह स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय व्रत है इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति के स्वास्थ्य, दीर्घायु एवं मंगल कामना करती हैं। कुंवारी कन्याये सुंदर, सुशील और अच्छे पति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं यह व्रत सौभाग्य और शुभ संतान देने वाला है।
करवा चौथ (Karwa chauth)का व्रत सुहागिन को क्यूं करनी चाहिए? Karwa chauth ki kahani and vidhi?

करवा चौथ व्रत विधि:-

करवा चौथ को सूर्योदय के पूर्व ही (सरगी) सास के द्वारा दिया (खीर,फल,आदि) अल्पाहार अथवा सरगी करने के उपरांत अपराह्न तक निर्जल व्रत रहने का नियम है। अपराह्न 4 बजे से 5 बजे के मध्य अपनी सास-जेठानी अथवा किसी अन्य पूज्य महिला से कहानी सुनें। कथा सुनते समय एक पटरे या चौकी पर जल से भरा लोटा और थाली में रोली, गेहूं, चावल से भरा हुआ मिट्टी का करवा ढक्कन सहित रख लें। साथ ही बायने के लिए तेरह करवे रोली से सतीया लगाकर भी रख लें। कहानी सुनने के पश्चात सबसे पहले एक करवे पर हाथ फेर के वह करवा अपनी सास के पैरों में पड़कर सास को दे दें। इसके बाद रोली सतीया लगे हुए खांड के तेरह करवे सुहागिन महिलाओं को बायने में देने चाहिए और सुहागिनों से ही लेने चाहिए। इसके बाद लोटे का जल और तेरह दाने गेहूं के चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए अलग रख लें। रात्रि को जब चंद्रमा निकल आए, तब चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन करें।
करवा चौथ के व्रत को करने वाली स्त्रियां सुबह स्नान आदि के बाद आचमन करके पति, पुत्र आदि के सुख सौभाग्य का संकल्प लेकर यह व्रत करती है करवा चौथ के व्रत में चौथ माता, गणेश जी महाराज, शिव-पार्वती और श्री कार्तिकेय जी के साथ चंद्रमा का भी पूजन किया जाता है और करवा चौथ की कहानी सुनी जाती है। इस दिन करवा चौथ की कहानी या करवा चौथ की कथा सुनने से चौथ माता प्रसन्न होकर व्रत का पूर्ण फल प्रदान करती है।
करवा चौथ (Karwa chauth)का व्रत सुहागिन को क्यूं करनी चाहिए? Karwa chauth ki kahani and vidhi?

 करवा चौथ व्रत की कहानी:–

एक साहूकार के एक पुत्री और सात  पुत्र और एक पुत्री थी।जिसका नाम विरावती था। विरावती का पति एक ब्राह्मण था।वो मायके आकर करवा चौथ का व्रत अपनी मां और भाभी के साथ उत्साह के साथ रखा। रात्रि को साहूकार के पुत्र भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने के लिए कहा।सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो। इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है। उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।ह ऐसा लगा की चांद निकल आया है। फिर एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है,
करवा चौथ (Karwa chauth)का व्रत सुहागिन को क्यूं करनी चाहिए? Karwa chauth ki kahani and vidhi?
 तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखा और उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ गई।उसने जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई। दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया। इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा। इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा। उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया। इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा।

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