लिंग (GENDER) क्या है तथा इसके प्रकार कितने होते हैं?
29 Aug 2022 | 1532
Avinash Kumar answered this.
02 Sep 2022

परिभाषा सामान्य अर्थ में शब्द की जाति को लिंग कहा जाता है।
संज्ञा, सर्वनाम या क्रिया के जिस रुप से , किसी व्यक्ति, वस्तु या भाव की जाति (स्त्री या पुरुष) का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं।
जैसे :– पिता - माता , शेर - शेरनी , लड़का - लड़की , पुरुष - स्त्री आदि।
- लिंग के प्रकार
व्याकरण में लिंग के दो प्रकार होते हैं –
1 . पुल्लिंग शब्द :- वे शब्द जो पुरुष जाति का बोध कराते हैं, पुल्लिंग शब्द कहलाते हैं।
जैसे :– लड़का , शेर , राम , बैल , मोर , बालक , राम , व्यक्ति , लेखक आदि।
2 . स्त्रीलिंग शब्द :- वे शब्द जो स्त्री जाति का बोध कराते हैं, स्त्रीलिंग शब्द कहलाते हैं।
जैसे :– लड़की , शेरनी , सीता , बालिका , लेखिका आदि।
लिंग - निर्णय
जीवधारी अथवा प्राणीवाचक संज्ञा का लिंग-निर्णय कठिन नहीं है, किंतु अप्राणीवाचक संज्ञा के लिंग-निर्णय में कठिनाई होती है, क्योंकि हिंदी में निर्जीव वस्तुओं को भी स्त्री और पुरुष, दो विभिन्न जातियों अथवा लिंगों में बाँटा गया है।
इस कठिनाई को दूर करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं।
वे इस प्रकार हैं –
1 . पुल्लिंग शब्दों का लिंग निर्णय –
(क) अकारान्त तत्सम शब्द पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :– पत्र ,पात्र, गोत्र ,दमन, माधुर्य,कार्य प्रकार, प्रहार, विहार ,लोभ, क्रोध,मोह, ग्रंथ ,मस्तक, प्रश्न, उत्तर, चंदन , स्वदेश, राष्ट्र, प्रांत ,नगर, विरोध, स्वास्थ्य, नाटक ,विराम ,बिक्रम, न्याय, धन, वन, जल, शरीर, कारण, दर्शन, पुष्प,चित्र, पालन, कर्म, , प्रचार, मुख, सुख, नृत्य, मेघ, अंचल, अंश, अकाल, कलश, गृह, परिवर्तन, पर्वत, उपवन, वचन, रूप, नगर, सागर, स्वर्ग, दोष, नियम, विभाग, विरोध, विवाद, शासन, प्रवेश, अनुमान, निमंत्रण, त्रिभुज, नाटक, लोक इत्यादि।
(ख) हिंदी के आकारांत शब्द पुल्लिंग होते है।
जैसे :– कपड़ा ,गन्ना, पैसा, पहिया, आटा ,चमड़ा, आना, गाना, लड़का, भाड़ा, नाला, ढकना, पटाखा, धमाका, बुढ़ापा, बुलावा, दिखावा, पहनावा, चिमटा, छाता, हथौड़ा, जुर्माना, चमड़ा, कपड़ा, काढ़ा, रायता, सिरका, तांबा, लोहा, सोना, शीशा, कांसा, राँगा, पराठा, हलुआ, मसाला, परदा, गुस्सा, रास्ता, चश्मा, किस्सा इत्यादि।
परंतु इस नियम के कुछ अपवाद भी होते हैं।
(ग) पर्वतों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :– हिमालय,त्रिकुट,नीलगिरि, विंध्याचल, शिवालिक, सतपुड़ा आदि।
(घ) समय तथा उसके विभागों के नाम अधिकांश पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :– सेकेंड, मिनट, घंटा, पहर, दिन, दिनांक, समय, काल, वक्त, क्षण, पल, लम्हा, सप्ताह, पक्ष, पखवाड़ा, महीना, वर्ष, युग आदि।
(ङ) हिन्दी मास, वार आदि के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :– फागुन,माघ, चैत्र, वैशाख, आषाढ़, कार्तिक, माघ, रविवार, सोमवार, मंगलवार आदि।
(च) धातुओं के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :– सोना, पीतल, लोहा, ताम्बा, कांसा, सीसा, मरकरी,यूरेनियम, पारा आदि।
(छ) मनुष्य तथा पशु-पक्षियों, सरीसृप में नर जाति पुल्लिंग होगी।
जैसे :– पुरुष, नर, भेड़िया,बिल्ली,नर्तक, लड़का आदि।
उड़ने वाले जीव -जैसे :- मच्छर, भौंरा, पतंगा आदि भी नर जाति के आधार पर पुल्लिंग होंगे।

(क) आकारांत, इकारांत, ईकारांत और उकारांत तत्सम शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे :– आकारांत – दया, माया, कृपा, लज्जा, क्षमा, शोभा, सभा, प्रार्थना, रचना, घटना, अवस्था, नम्रता, सुंदरता, ईष्या, भाषा, अभिलाषा, आशा, निराशा, कला, इच्छा, आज्ञा, रक्षा, घोषणा, परीक्षा, योग्यता, सीमा, संस्था, सहायता, शिक्षा आदि।
इकारांत – अनुमति, श्रुति, पूर्ति, जाति, समिति, नियुक्ति, रीति, शक्ति, हानि, स्थिति, परिस्थिति, शांति, संधि, छवि, रूचि आदि।
ईकारांत – नदी, नारी, कुंडली, गोष्ठी आदि ।
उकारांत – मृत्यु, आयु, वस्तु, ऋतू, वायु आदि ।
(ख) ऐसी भाववाचक तद्भव संज्ञाएँ जिनका अंत ट, आवट, आहट आदि प्रत्ययों से होता है, स्त्रीलिंग होती हैं।
जैसे :– खटपट, रुकावट, घबराहट, छटपाहट आदि ।
(ग) हिंदी में कुछ प्राणीवाचक शब्दों का प्रयोग केवल स्त्रीलिंग में होता है, उनका पुल्लिंग रूप नहीं बनता है।
जैसे :– सुहागिन, सती, सौत, सौतिन, धाय, नर्स, सवारी, संतान, पुलिस, सेना, फौज, सरकार आदि।
(घ) आ, इ, ई, उ, ऊ अंत वाली संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग होती है।
जैसे :– दया, लता, माला, सरिता, नदी, बुद्धि, भक्ति, छवि, स्तुति, उदासी, मिठाई, लड़की, कहानी, ऋतू, वस्तु, मृत्यु, वायु, बालू आदि।
(ङ) भाषाओं के नाम तथा बोलियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे :– हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, बांग्ला, मराठी, तमिल, तेलगु, अंग्रेजी, चीनी, बिहारी, मैथिली, पंजाबी, अफ्रीकी आदि।
(च) कुछ सब्जियों के नाम पुल्लिंग व स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे :–पुल्लिंग – टमाटर, बैंगन, मटर, प्याज, लहसुन, खीरा, करेला, आलू, नींबू, जमीकंद, तरबूज, खरबूज, सिंघाड़ा, पालक, शलगम, अदरक आदि।
स्त्रीलिंग – भिंडी, तुरई, मूली, मैथी, सरसों, फलियाँ, अरबी, सेम की फली, ककड़ी, शकरकंद, बंदगोभी, फूलगोभी आदि।
(छ) नदियों के नाम अधिकांश स्त्रीलिंग व कुछ पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :–स्त्रीलिंग – गंगा, यमुना, कृष्णा, गोदावरी, महानदी, गोमती, गंडक, नर्मदा, ताप्ती, रावी आदि।
पुल्लिंग – ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज, व्यास, चेनाब आदि।
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम
1. आकारांत पुल्लिंग को ईकारांत कर स्त्रीलिंग बनाना -
जैसे :- लड़का-लड़की , नाना-नानी , देव-देवी , पुत्र-पुत्री , गोप-गोपी आदि।
2. 'आ' या 'वा' प्रत्ययान्त पुल्लिंग शब्द में 'इया' लगा कर स्त्रीलिंग बनता है।
जैसे :- कुत्ता - कुतिया बूढ़ा - बुढ़िया आदि।
3. व्यवसायबोधक, जातिबोधक,तथा उपनामवाचक शब्दों के अंतिम स्वर का लोप कर उनमें कहीं 'इन' और कहीं 'आइन' प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है।
जैसे :- माली - मालिन , चौबे - चौबाइन , धोबी - धोबिन , बाघ - बाघिन , बनिया - बनियाइन आदि।
4. कुछ उपनामवाची शब्द ऐसे भी हैं , जिनमें 'आनी' प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है ।
जैसे :- ठाकुर - ठकुरानी , चौधरी - चौधरानी , जेठ - जेठानी , पंडित - पंडितानी आदि।
5. जाति या भाव बताने वाली संख्याओं का पुल्लिंग से स्त्रीलिंग करने में यदि शब्द का अन्य स्वर दीर्घ है , तो उसे ह्रस्व करते हुए नी प्रत्यय का भी प्रयोग होता है।
जैसे :- हिंदू- हिंदुनी , ऊँट - ऊँटनी , हाथी - हथिनी आदि।
6. कुछ शब्द स्वतंत्र रूप से स्त्री पुरुष के जुड़े होते हैं , यह स्वतंत्र रूप से स्त्रीलिंग या पुल्लिंग शब्द होते हैं।
जैसे :- राजा - रानी , गाय - बैल , साहब - मेम आदि।
मर्द - औरत , भाई - बहन , वर - वधु , माता - पिता , पुत्र - कन्या आदि।
7. संस्कृत के 'वान्' और 'मान्' प्रत्यय विशेषण शब्दों के क्रमशः 'वती' और 'मती' कर देने से स्त्रीलिंग बन जाता है ।
जैसे :- बुद्धिमान - बुद्धिमती , आयुष्मान - आयुष्मती , पुत्रवान - पुत्रवती , बलवान - बलवती , श्रीमान् - श्रीमती , भगवान - भगवती , भाग्यवान - भाग्यवती , धनवान - धनवती आदि।
8. संस्कृत के बहुत से अकारांत विशेषण शब्दों के अंत में 'आ' लगा देने से स्त्रीलिंग हो जाते हैं ।
जैसे :- तनुज - तनुजा , प्रिय - प्रिया , कांत - कांता , चंचल - चंचला , अनुज - अनुजा , प्रियतम - प्रियतमा , पूज्य - पूज्य , श्याम - श्यामा आदि।
9. जिस पुल्लिंग शब्द के अंत में 'अक' होता है , उनमें 'अक' के स्थान पर 'इका' कर देने से स्त्रीलिंग शब्द बनाते हैं ।
जैसे :- सेवक - सेविका , बालक - बालिका , भक्षक - भक्षिका , नायक - नायिका , पालक- पालिका आदि।
10. संस्कृत की अकारांत संज्ञाएँ पुल्लिंग रूप में आकारांत कर देने और स्त्रीलिंग रूप में ईकारांत कर देने से पुल्लिंग , स्त्रीलिंग होती है ।
जैसे :- कर्ता - कत्री , धाता - धात्री , दाता - दात्री , कवि - कवयित्री , नेता - नेत्री आदि।
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