अंजनहारी, गुहौरी (STYE) के कारण, लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार—Gharelu Upchar?

11 Sep 2022   |    131

~ Aman Sah

Aman Sah answered this.

11 Sep 2022

रोग परिचय लक्षण एवं कारण:–
इसमें आँख के ऊपरी या नीचले पपोटों पर, बालों की जड़ों में एक छोटी फुन्सी निकल आती है, और जो 3-4 दिन के बाद फूट जाती है। ऊपर या नीचे के आँख के पलक पर पहले छोटी सी कीलक के समान सूजी हुई और लाल होती है। इनमें किसी में दर्द थोड़ा होता है, किसी में अधिक होता है। थोड़े दिनों में यह पक जाती है। कीलक की चोटी पर पीला–सा चिह्र दीखता है, यही पीप पढ़ने की निशानी है। पीप पड़ने के बाद यह अपने आप फट जाती है। यह प्रायः एक के बाद दूसरी फिर तीसरी इसी प्रकार निकलती रहती है। किसी– किसी की आँख में 1–2 निकल कर ही बन्द हो जाती है। यह ‘स्टैफिलौकोक्क्स’ के कारण निकलती हैं। जिनके अन्दर इसके आक्रमण को रोकने की शक्ति कम होती है तथा विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’ की भी कमी होती है उनको ही यह बार-बार निकलती है। यह अजीर्ण, कब्ज तथा दृष्टि की कमजोरी आदि से भी निकला करती है।
अंजनहारी, गुहौरी (STYE) के कारण, लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार—Gharelu Upchar?

आयुर्वेदिक उपचार—

गर्म सिंकाई करायें ताकि पीप शीघ्र पड़ जाये। पीप पड़ने पर उसे दबा कर निकाल दें। यदि आवश्यकता समझें तो आक्रान्त स्थल के पलक के बाल भी काट दें। कब्ज न रहने दें। अजीर्ण या अफारा हो तो उसकी भी दवा दें। यदि आंखें (दृष्टि) कमजोर हों तो नजर का चश्मा दिलवा दें। यदि निर्बलता (कमजोरी) हो तो उसे दूर करें। त्रिफला चूर्ण को शहद में मिलाकर अंजनहारी पर लगाना चाहिए। ‘रसायन चूर्ण’ या त्रिफला चूर्ण दूध के साथ सेवन करना चाहिए।
लौंग को पानी में घिसकर लगाना लाभप्रद है।
सिन्दूर 2 ग्रेन को जरा से पानी में घिस कर लगाने से गुहांजनी ठीक हो जाती है।
अंजनहारी में छुहारे की गुठली को पानी में घिसकर लगाना लाभप्रद है।
प्रातः+सायं 3–3 ग्राम त्रिफला चूर्ण गो–दूग्ध लेने से भी अंजनहारी का निकलना बन्द हो जाता है।
यदि बार-बार गुहेरी निकलती हो तो मूत्रेन्द्रिय (लिंग) के सुपारी का पर्दा हटाकर उसकी सफेदी (मल) को साफ कर देने से बार-बार गुहेरी का निकलना बन्द हो जाता है।
आम के पत्ते को तोड़कर उसके डन्ठल से निकले चेंप या यदि आम की फसल हो तो आम को तोड़ने के बाद उसके डन्ठल से जो चेंप निकलता है, उसे लगाने से गुहेरी में लाभ होता है।
इमली के बीजों की गिरी को किसी साफ पत्थर पर घिसकर गुहौरी पर लेप करने से तत्काल ठन्डक पड़ जाती है तथा भविष्य में गुहैरी पुनः नहीं निकलती है। गुहांजनी के लिए यह सर्वश्रेष्ठ, सरल एवं सुलभ योग है।
शास्त्रीय एवं आयुर्वेदिक पेटेन्ट अन्य योग ‘आँखें आना’ रोग में वर्णित है, उनका प्रयोग भी गुहांजनी (गुहैरी) रोग में किया जा सकता है।

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