रतौंन्धी (Night Blindness) के कारण, लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार—Ayurvedic Treatment
11 Sep 2022 | 145
~ Aman Sah
Aman Sah answered this.
11 Sep 2022
रोग परिचय, लक्षण एवं कारण:–
इस रोग के रोगी को रात में दिखलायी नहीं देता है। दिन में जब तक सूरज की रोशनी रहती है, रोगी बराबर देख सकता है, किन्तु जैसे ही सूरज डूबता जाता है, रोगी की आँखों में देखने की शक्ति कम हो जाती है तथा रात्रि होते ही एकदम दिखलाई देना बन्द हो जाता है।
आयुर्वेदिक उपचार—
धूल, धुंआ, एवं तीव्र प्रकाश से रोगी को बचावें। छोटे अक्षरों में छपी पुस्तकें या समाचार पत्र आदि न पढ़ने दें। दिन में धूप का चश्मा लगवायें लघुपाकी तथा पौष्टिक भोजन (दूध और अन्डा) आदि दें। बल्य रसायनों का प्रयोग करायें, ताकि रोगी का सामान्य स्वास्थ्य उन्नत हो सके।मोतियाबिन्द के कुछ घरेलू प्रयोग
- नौसादर को सुरमें की भाँति पीसकर अंजन करने से मोतियाबिन्द दूर हो जाता है।
- निर्मली के बीज को शहद के साथ घिसकर नेत्रों में लगाने से मोतिया–बिन्द कट जाता है।
- हल्दी की 5–6 घाटों को ‘ ‘अमृतधारा’ ’ में डाल दें तथा 1 सप्ताह पड़ा रहने दें, फिर निकालकर इन गाँठों को पानी के साथ (पत्थर पर घिसें) और आँखों में लगायें। इसके निरन्तर प्रयोग से मोतियाबिन्द कट जाता है तथा नेत्रज्योति बढ़ती है।
सत अजवायन, कपूर और पिपर मैन्ट तीनों को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर एक शीशी में डालकर हिला दें। थोड़ी देर में सभी दवाऐं घुल–मिलकर अमृतधारा तैयार हो जायेगी।
- बच ½(आधा) ग्राम, हींग 1 ग्राम, सोंठ 1 ग्राम को शहद में मिलाकर खाने से मोतियाबिन्दु में आशातीत लाभ होता है।
- भोजन के 1 घन्टे पश्चात् चौलाई का साक बनाकर बिना नमक–मिर्च मिलाये जितना खा सकते हों, घी मिला कर खायें। तीन-चार दिन में रोग समूल नष्ट हो जायेगा।
- गाय के गोबर का रस 3–4 बूँद दिन में 3–4 बार आँखों में डालें। एक ही दिन में रतौन्धी मिट जाती है।
- शुद्ध मधु अंगुलि या सलाई से आंख में लगाने से रतौन्धी मिटती है।
- पलाश (ढाक) के वृक्ष के तने में सन्ध्या समय कुल्हाड़ी या अन्य धारदार शस्त्र से गोदा मारदें। पलाश के वृक्ष से टपकते रस को रुई में भिगोकर तुरंत ही रतौन्धी के रोगी की आंखों में 2–4 बूँद टपका दें। रतौन्धी 2–3 दिन में ही नष्ट होकर फिर कभी जीवनपर्यन्त नहीं होगी, साथ ही दृष्टि इतनी तीव्र हो जायेगी की चांदनी रात में भी मजे से पढ़ा जा सकता है।
- छोटी दुध्दी के पौधों को तोड़ने पर निकले दूध को सलाई के सिरे को खूब तर करके रतौन्धी वाले रोगी की आँखों में भली प्रकार लगा दें। वेदना तो अत्यधिक होगी ही किन्तु न आंखों को मलें तथा न धोयें, धैर्य रक्खें। एक पहर बाद वेदना स्वयं दूर हो जायेगी। मात्र एक बार के प्रयोग से रतौन्धी से जीवन भर के लिए निजात मिल जायेगी।
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