वृक्कशूल, गुर्दे का दर्द (RENAL-COLLIC) के कारण, लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार—Ayurvedic Treatment?

12 Sep 2022   |    314

~ Aman Sah

Aman Sah answered this.

12 Sep 2022

रोग परिचय लक्षण एवं कारण:–
जब तक पथरी गुरदे में रहती है तब तक दर्द नहीं होता है किन्तु जब यह पथरी मूत्रनली में आ जाती है, तब बड़ी जोर का दर्द होने लगता है मानो वहाँ कोई काटे डाल रहा हो। दर्द के कारण रोगी पागल सा हो जाता है। इसे ‘वृक्क शूल’ कहा जाता है। जिस तरफ के गुर्दे में यह बीमारी होती है यह दर्द उस तरफ के गुर्दे से लेकर उस ओर के पैर के तलवे तक फैल जाता है।
गुर्दे के दर्द में कमर और पेडू में वेदना उठना, वेदना का जाँघ, अन्डग्रन्थि की ओर जाना या समस्त पेट में फेलकर छाती और पीठ को जाना, तेज और असहनीय वेदना के कारण रोगी का दोहरा हो जाना, ठन्डा पसीने आना, नब्ज तेज और कमजोर पड़ना, कम्प के साथ ज्वर होना, मितली या वमन आना, दौरे के समय मित्र थोड़ा-थोड़ा करके दर्द के साथ आना या मूत्र बिल्कुल बन्द हो जाना तथा कभी-कभी मूत्र में रक्त आने लगना आदि प्रधान लक्षण हैं। दर्द के साथ कँपीकँपी, कै, पसीना, हिमाँन और अन्डकोष फूलता, सिकुड़ता ऊपर को उठा हुआ सा हो जाता है।
गुर्दे के दर्द का दौरा या तो स्वयं बिना किसी स्पष्ट कारण के कभी-कभी उठ जाता है या कभी-कभी चावल, छाछ, रस, या कोई ठन्डी चीज प्रयोग करने के बाद शुरू होता है। कब्ज से भी हो सकता है। याद रखें जब तक ‘ ‘पथरी’ ’गुर्दे में रहती है तब तक दर्द नहीं होता है। गुर्दे का दर्द एकाएक पैदा होता है और अचानक बन्द हो जाता है। यह दर्द होने पर ‘एपेन्डिक्स प्रदाह’ तथा ‘पित्तशूल’ के साथ दर्द का भ्रम चिकित्सकों को हो जाता है।
दौरा चन्द घन्टों से लेकर 1–2 दिन तक रहता है। अक्सर पथरी के वृक्क में लौट जाने या मूत्राशय में उतर जाने के बाद बन्द हो जाता है। इसमें आप से आप या शल्य चिकित्सा के द्वारा पथरी के निकल जाने पर रोगी को आराम हो जाता है। कभी-कभी पथरी के कारण यदि मूत्रनली रुक जाती है तो पेशाब आना बन्द हो जाता है और यूरिमिया मूत्र (विषमयता) होकर संकट की घड़ी आ जाती है।
पथ्य–
जौ, कुलथी, पुराने महीन चावल का भात, पुराना कोहड़ा या पथर चूर (पथर चट) के पत्तों का रस आदि दें। रोगी को आहार ऐसा दें जिसमे कार्बोज अधिक तथा प्रोटीन कम हो। नित्य दो-तीन बार उबला हुआ जल पिलायें।
अपथ्य –
मदिरा, चाय, आलू, चुकन्दर, प्याज, किशमिश, मुनक्का, अंजीर, खटाई तथा देर से पचने वाली खाद्य वस्तुऐ न दें। चूना, सोड़ा या क्षारीय जल भूलकर भी ना दें। वयायाम बन्द करवा दें।
वृक्कशूल, गुर्दे का दर्द (RENAL-COLLIC) के कारण, लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार—Ayurvedic Treatment?

आयुर्वेदिक उपचार—

कुछ देर तक पीठ की तरफ झुककर बैठने से पथरी के गुर्दे में लौट जाने से एकाएक दर्द घट जायेगा। दौरे के समय रोगी को बिस्तर पर लिटा दें। दर्द वाली जगह पर सेंक कराये। तथा अधिक मात्रा में गर्म पानी पिलायें। डी विटस किडनी एन्ड ब्लेडर फिल्म (निर्माता सी.डी. विट्स कम्पनी लन्दन) 1-1गोली खाने से पहले देने से ‘पथरी’ टूटकर अपने बाहर आ जाती है।
नोट:–
इन गोलियों को देने से रोगी को नीले रंग का मूत्र आने लगता है।
विशेष:—
इस रोग के उपचार में इसी पुस्तक में ‘अश्मरी’ रोग में उल्लिखित औषधियों पथरी निष्कासन हेतु तथा ‘उदरशूल’ दें। में उल्लिखित औषधियां दें।
नोट:–
‘एपेन्डिक्स प्रदाह’ में ज्वर हुआ करता है तथा ‘पित्त शूल’ में कमला मौजूद रहता है, किन्तु ‘वृक्क शूल’ में बुखार या पान्डुरोग नहीं रहता।

3 likes

Top related questions

Related queries

Latest questions

What do you mean by Industry?

08 Jan 2023

   |    1044

https://gplinks.co/AIAex

23 Nov 2022

   |    277

100 Best Memes of the Month!

20 Oct 2022

   |    1017

Top 10 Memes of this Week!

20 Oct 2022

   |    725

HOW TO SET GOALS LIKE A STOIC?

07 Oct 2022

   |    531