राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी को छोड़कर अन्य मुहूर्त क्यों नहीं लिया गया?
16 Jan 2024 | 1112
~ Megha
Megha answered this.
16 Jan 2024
२२ जनवरी २०२४ पौष शुक्ल द्वादशी सोमवार मृगशीर्ष नक्षत्र के दिन सर्वोत्तम मुहूर्त है इसकारण उसे लिया गया।
२२ जनवरी २०२४ के पूर्व विजयादशमी के दिन गुणवत्तर लग्न नहीं मिलता। गुरु वक्री होने से दुर्बल है।
बलिप्रतिपदा को मंगलवार है। यह वार गृहप्रवेश में निषिद्ध है। अनूराधानक्षत्र में घटचक्र की शुद्धि नहीं है। अग्निवाण भी है। अग्निबाण में मन्दिर में मूर्तिप्रतिष्ठा होने पर आग लगकर हानि होती है।
२५ जनवरी २०२४ पौषशुक्ल पूर्णिमा को मृत्युबाण है। मृत्युवाण में प्रतिष्ठा होने पर लोगों की मृत्यु हो सकती है।
४ माघ- फाल्गुन में कहीं बाण शुद्धि नहीं मिलती तो कहीं पक्षशुद्धि नहीं मिलती तथा कहीं तिथ्यादि की शुद्धि नहीं मिलती । माघ शुक्ल आदि में गुरु कर्काश (उच्चांश) का नहीं है।
५) १४ मार्च २०२४ से खरमास है। अर्थात् मीनार्क है। मीनार्क मेंउत्तर भारत में प्रतिष्ठादि शुभ कार्य नहीं होते।
९ अप्रैल २०२४ को वर्षारम्भ दिन है। उसमें मङ्गलवार, वैधृति एवं क्षीणचन्द्र दोष हैं।
-रामनवमी १७ अप्रैल २०२४ को मेषलग्न पापाक्रान्त है तथा उसे लेने पर दादश में बुध-शुक्र जाते हैं।
- वृषलग्न लेने पर द्वादश में गुरु एवं चतुर्थेश सूर्य जाते हैं। बाद में आश्लेषा नक्षत्र है।
-२४ अप्रैल वैशाखष्ण प्रतिपदा को मृत्युबाण है।
-२८ अप्रैल को शुक्र का वार्धक्यारम्भ है।
-५ मई को गुरु का वार्धक्यारम्भ है।
-७जुलाई रथयात्रा के दिन रविवार है।
१२) १७ जुलाई से चतुर्मास है।
१३) १२ अक्टूबर २०२४ विजयादशमी को शनिवार है। गुरु वक्री है।
२ नवम्बर बलिप्रतिपदा को शनिवार है। गुरु वक्री है।
१५) ३ फरवरी तक गुरू वक्री होने से मुहूर्त में गुरुबल नहीं। (१६) माघशुक्ल दशमी:शुक्रवार को शुद्ध एवं बलक्तर लग्न नहीं मिलता ।
(१७) माघ शुक्ल प्रयोदशी सोमवार १० फरवरी २०२५ को अग्निबाण है। पुनर्वसूनक्षत्र पापाक्रान्त है।
आगे कहीं चन्द्रशुद्धि नहीं। कहीं पक्ष की शुद्धि नहीं। कहीं शुद्ध नक्षत्र नहीं। कहीं बाणशुद्धि नहीं। कहीं तिथि-बार की शुद्धि नहीं।
-फाल्गुन पूर्णिमा १४ मार्च को खरमासारम्भ
-३० मार्च २०२५ को वर्षारम्भ के दिन रविवार।
-रामनवमी के दिन रविवार ।
-आगे कहीं व्यतीपात, कहीं वैधृति, कहीं इतर अशुद्धि।
- गुरु शत्रुराशि में होने से मुहूर्त में गुरुबल की कमी।
-२ जून २०२६ को गुरु कर्क में जायेगा। उस समय अधिक ज्येष्ठ कृष्णपक्ष रहेगा।
(ख) १६ जून २०२६ से शुद्ध ज्येष्ठ शुक्ल प्रारंभ होगा। पूर्ण लग्नशुद्धि नहीं मिलती।
तब तक प्रतीक्षा कर शुद्ध मुहूर्त को खोजने चलने पर कौन रहेगा? कौन नहीं रहेगा जानकार विद्वान् ?
अतः इन सब बातों का विचार करके २२ जनवरी २०२४ का राम प्रतिष्ठा मुहूर्त दिया गया है।
पूर्व में आनन-फानन में जो मुहूर्त लोगों ने दिया उसमें कुछ कमी थी इसी कारण मन्दिर तोड़े गये । अतः सभी बातों को ध्यान में रखकर २२ जनवरी २०२४ को प्रतिष्ठा का मुहूर्त दिया गया है। इसमें लग्नस्थ गुरु की दृष्टि पञ्चम, सप्तम एवं नवम पर होने से मुहूर्त उत्तम है। मकर का सूर्य हो जाने से पौषमास का वर्ज्यत्व (दोष) समाप्त हो जाता है। भगवान् की कृपा से, गुरुजनों के आशीर्वाद से उपर्युक्त उत्तम मुहूर्त मिला है। अधकचरे लोगों द्वारा बिना प्रमाण के प्रश्न उपस्थापित एवं प्रचारित किये जाते हैं उनमें कोई तत्व नहीं है।
2 likes
Top related questions
12 Jan 2024
| 1221
Related queries
Latest questions
16 Jan 2024
| 2042
16 Jan 2024
| 1112
12 Jan 2024
| 1221
08 Jan 2023
| 76216
26 Dec 2022
| 1476
23 Nov 2022
| 549
03 Nov 2022
| 1364
03 Nov 2022
| 1120
20 Oct 2022
| 1523
20 Oct 2022
| 1019