खोया हुआ खरगोश

एक दिन, जंगल में छोटा सा खरगोश जिसका नाम था नन्हू, अपनी माँ के साथ खेल रहा था। नन्हू बहुत शरारती था और हर दिन नई-नई जगहों पर घूमने निकल जाता था। उसकी माँ उसे बार-बार समझाती, "नन्हू, ज्यादा दूर मत जाना, वरना तुम खो जाओगे।" लेकिन नन्हू हर बार हँसता और कहता, "मैं बहुत बहादुर हूँ, माँ! मैं कभी नहीं खोता।"


एक दिन, नन्हू अपनी माँ की बात को नजरअंदाज करके दूर-दूर तक दौड़ने लगा। उसे एक रंग-बिरंगी तितली दिखी, और वह तितली के पीछे-पीछे दौड़ते हुए बहुत दूर चला गया। जब तितली उड़कर कहीं और चली गई, तो नन्हू ने देखा कि वह बिलकुल अकेला था। चारों ओर बड़े-बड़े पेड़ थे और नन्हू को समझ नहीं आ रहा था कि वह कहाँ है।


नन्हू डर गया। वह रोने लगा और सोचने लगा, "क्यों मैंने माँ की बात नहीं मानी?" उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे वापस जाए। अचानक, पास से एक आवाज आई, "नन्हू, क्या तुम खो गए हो?" वह आवाज एक बुजुर्ग कछुए की थी।


नन्हू ने सिर हिलाया और रोते हुए कहा, "हाँ, मैं अपनी माँ से बहुत दूर आ गया हूँ।"


कछुए ने मुस्कुराते हुए कहा, "घबराओ मत। मैं तुम्हें तुम्हारी माँ के पास ले जाऊँगा। पर याद रखना, हमेशा अपने माँ-बाप की बात सुननी चाहिए।"


नन्हू ने सिर झुका कर कहा, "मैंने गलती की। अब मैं हमेशा माँ की बात मानूँगा।"


कछुए ने धीरे-धीरे नन्हू को वापस उसकी माँ के पास पहुंचाया। उसकी माँ ने नन्हू को गले से लगा लिया और कहा, "मुझे पता था कि तुम वापस आ जाओगे, लेकिन अब तुमने समझ लिया होगा कि हमेशा ध्यान रखना चाहिए।"


नन्हू ने माँ से माफी माँगी और वादा किया कि वह अब कभी दूर नहीं जाएगा। उसके बाद से, नन्हू हमेशा अपनी माँ की बात मानता और जंगल में सुरक्षित रहता।


सीख: हमें हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए।

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