"सपोर्ट लेवल" और "रेसिस्टेंस लेवल" क्या होते हैं?

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12 Jan 2024

श्रीराम जी का जन्म अयोध्या में हुआ था,और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहाँ एक नया मन्दिर बनाने के लिये एक लम्बा आन्दोलन चला।14वीं शताब्दी में हिन्दुस्तान पर मुगलों का अधिकार हो गया और उसके बाद ही राम जन्मभूमि एवं अयोध्या को नष्ट करने के लिए कई अभियान चलाए गए। अंतत: 1527-28 में इस भव्य मंदिर को तोड़ दिया गया और उसकी जगह बाबरी ढांचा खड़ा किया गया। 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने संबंधित स्थल को श्रीराम जन्मभूमि माना और 2.77 एकड़ भूमि रामलला के स्वामित्व की मानी। वहीं, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया गया।यह राम मंदिर भगवान राम से जुड़ी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है और हिंदुओं के लिए अत्यधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है।राम मंदिर की नींव 5 अगस्त 2020 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। यह एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसने भारत के हिंदू समुदाय में खुशी की लहर ला दी।
     आगामी पौष शुक्ल,द्वादशी, विक्रम संवत 2080,सोमवार दिनांक 22 जनवरी 2024 के शुभदिन प्रभु श्री राम के बाल रूप नूतन विग्रह को श्री राम जन्मभूमि पर बना रहे नवीन मंदिर भूतल के गर्भगृह में विराजित करके प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस अवसर पर अयोध्या में अभूतपूर्व आनंद का वातावरण होगा।अयोध्या राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगी 2100 किलोग्राम की विशाल घंटी,तथा 108 फुट की अगरबत्ती से पूरी अयोध्या राममय हो जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा में देश तथा विदेशों से आने वाले अतिथिगण की संख्या लगभग 6000 है। लगभग 2500 हवन कुंड बनाए गए हैं, तथा सुरक्षा का इंतजाम बहुत शक्ति से और अच्छे पूर्ण ढंग से किया गया है।
प्राण प्रतिष्ठा के दिन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 22 जनवरी को सुरक्षा की दृष्टिकोण से राम भक्तों से निवेदन किया गया है कि उसे दिन अयोध्या ना जाकर 23 जनवरी के बाद का प्रयोजन बनाएं। उनसे निवेदन किया गया है,कि अपराह्न 11:00 से पूर्वाह्न 1:00 के मध्य अपने ग्राम मोहल्ले कॉलोनी में स्थित किसी मंदिर में आस-पड़ोस के राम भक्तों को एकत्रित करके भजन कीर्तन करें,टेलीविजन अथवा कोई पर्दा या स्क्रीन लगाकर अयोध्या का प्राण प्रतिष्ठा समारोह समाज को दिखाए, शंखध्वनि, घंटानाद आरती करें तथा प्रसाद वितरण करें।कार्यक्रम का स्वरुप मंदिर केंद्रित रहे, अपने मंदिर मे स्थित देवी- देवता का भजन-कीर्तन आरती पूजा तथा "श्री राम जय राम जय जय राम" विजय महामंत्र का 108 बार सामूहिक जाप करें।
 इसके साथ हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, राम रक्षा स्त्रोत आदि का सामूहिक पाठ भी कर सकते हैं। सभी देवी- देवता प्रसन्न होंगे, वातावरण सर्वत्र सात्विक एवं राममय  हो जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा समारोह दूरदर्शन द्वारा सीधे प्रसारित किया जाएगा। अनेक चैनलों के माध्यम से भी प्रसारण किया जाएगा।
     प्राण प्रतिष्ठा के दिन संध्या सूर्यास्त के बाद अपने घर के सामने देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए दीपक चलाएं दीप   मलिका सजाए। विश्व के करोड़ों घरों में दीपोत्सव मनाया जाए। प्राण प्रतिष्ठा दिन के उपरांत प्रभु श्री राम लाल तथा नवनिर्मित मंदिर के दर्शन हेतु अपने अनुकूल समय अनुसार अयोध्या जी में परिवार सहित पधारे।
  • मंदिर परंपरागत नगर शैली में निर्मित हो रही है।
  • मंदिर की लंबाई 380 फीट चौड़ाई, 250 फीट और ऊंचाई 161 फिट है।
  •  तीन मंजिला मंदिर प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट,कल 392 खंभे 44 दरवाजे हैं।
  •  कुल पांच मंडप--नृत्यमंडप, रंग मंडप,गुढ़ मंडप( सभा मंडप ), प्रार्थना मंडप,कीर्तन मंडप हैं।
  • खंभे दीवारों में देवी--देवताओं तथा देवांगनाओं की मूर्तियां हैं।
  • प्रवेश पूर्व से 32 सीढ़ियां(जिनकी ऊचाई 16.5 फिट )चढ़कर सिंहद्वारा से होगा।
  • दिव्यांगजन तथा वृद्धो के लिए रैंप एवं लिफ्ट की व्यवस्था है.
  •  चारों ओर आयताकार परकोटा -- लंबाई 732 मीटर, चौड़ाई 4.25 मीटर,परकोटा के चार कोनों पर चार मंदिर-- भगवान सूर्य, शंकर, गणपति,देवी भगवती परकोटे कि दक्षिणी भुजा में हनुमान एवं उत्तरी भुज में अन्नपूर्णा माता का मंदिर है।
  •  मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप है
  •  श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर-- महर्षि वाल्मीकि,महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र,महर्षि अगस्त्य, निषादराजगुह, माता शबरी,एवं देवी अहिल्या।
  •  दक्षिणी-- पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीले पर स्थित शिव मंदिर का जीर्णोंद्वारा एवं राम भक्त जटायु राज प्रतिमा की स्थापना की गई है।

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