मुस्लिम महिलाओं के लिए बेहद दर्दनाक होता है "निकाह मुताह".जानें क्या है ये? इस्लाम धर्म की सबसे बड़ी कुप्रथा!
629 Oct 2024
दुनिया के अलग-अलग धर्मों में शादी के अलग-अलग तरह के नियम कानून होते हैं। यह भी सच्चाई है कि हर धर्म में कुछ ना कुछ कुरीतियाँ होती ही हैं जिनका इस्तेमाल रूढ़िवादी लोग कमजोर तबके का शोषण करने के लिए करते हैं। आज हम ऐसी ही एक कुरीति के बारे में बात करेंगे जो महिलाओं के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। हम बात कर रहे हैं इस्लाम धर्म में मुताह निकाह की प्रथा के बारे में। अक्सर मुताह निकाह के बारे में आलोचना की जाती है। जिसमें पति और पत्नी के परिवार मिलकर एक समझौता करते हैं। पति और उसका परिवार पत्नी के परिवार को मेहर के तौर पर कुछ पैसे देते हैं। इसके बाद जब लड़का और लड़की अपनी सहमति जताते हैं तो शादी पूरी हो जाती है।
इस्लाम में शिया और सुन्नी दो बड़े संप्रदाय है
इस्लाम में शिया और सुन्नी दो बड़े संप्रदाय हैं, जिनकी मान्यताएं और परंपराएं अलग-अलग हैं। इनमें शादी की परंपराएं भी शामिल हैं। अगर इस्लाम की बात करें तो यहां एक नहीं बल्कि कई शादी की परंपराएं हैं। इन्हीं में से एक है मुताह परंपरा। जिसमें लड़कियां जितनी चाहें उतनी शादियां कर सकती हैं। क्या है ये परंपरा, आइए आपको बताते हैं।
लेकिन यह भी सच है कि हर धर्म में कुछ कुरीतियाँ होती हैं जिनका इस्तेमाल रूढ़िवादी लोग कमज़ोर तबके का शोषण करने के लिए करते हैं। आज हम ऐसी ही एक कुरीति के बारे में बात करेंगे जो महिलाओं के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। इस्लाम में निकाह मुताह की प्रथा की अक्सर आलोचना की जाती है।
मुताह निकाह क्या है?
इस्लाम में मुताह निकाह की बात करें तो ये मुसलमानों के बीच होने वाला एक अस्थायी निकाह होता है। यह एक मुताह का एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है खुशी या मौज-मस्ती। दो लोग जो लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते, वो मुताह विवाह करते हैं। इस्लाम में मुताह विवाह सिर्फ शिया मुसलमानों में ही होता है। खास तौर पर दुबई, अबू धाबी जैसी जगहों पर अब शिया संप्रदाय के बहुत से मुसलमान रहते हैं। अपने कारोबार के कारण उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी और वे किसी भी जगह पर लंबे समय तक नहीं रुकते थे।
जरूरत के लिए करते हैं मुताह विवाह
जिसके कारण अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वे मुताह विवाह करते थे। मुताह विवाह एक समय सीमा के साथ होता है। यानी एक अवधि के बाद पति और पत्नी दोनों आपसी सहमति से एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। हालांकि, तलाक के बदले में पति को पत्नी को मेहर देना पड़ता है। जो सामान्य मुस्लिम विवाहों में दिया जाता है। शिया संप्रदाय द्वारा मुस्लिम पर्सनल लॉ में इस विवाह को मान्यता दी गई है।
लड़कियां 20-25 बार शादी कर सकती हैं
मुताह विवाह में किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। यह एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट मैरिज है। लड़कियां जितनी चाहें उतनी बार शादी कर सकती हैं। इसमें एक निश्चित अवधि होती है। यह एक महीने या एक साल की हो सकती है, उस अवधि के बाद तलाक हो जाता है। और कोई फिर से किसी और से शादी कर सकता है। आपको बता दें कि शिया समुदाय में इस शादी को मान्यता प्राप्त है। लेकिन सुन्नी संप्रदाय में इसे अवैध माना जाता है।
महिलाओं के लिए अभिशाप से कम नहीं
कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से शादी रद्द हो सकती है। जैसे, शादी की अवधि पूरी होने पर, किसी एक की मौत हो जाने पर। यह कुप्रथा महिलाओं के अधिकारों का हनन ही करती है। शादी की अवधि पूरी होने के बाद भी महिला का जीवन सामान्य नहीं हो पाता। उसे इद्दत की रस्म निभानी पड़ती है। इद्दत की रस्म चार महीने और दस दिन तक चलती है, जिसमें महिला को पुरुष की छाया से दूर एकांत में रहना पड़ता है। तभी वह पुनर्विवाह के योग्य मानी जाती है।
0 likes
Top related questions
Related queries
Latest questions
29 Oct 2024 4
29 Oct 2024 6
29 Oct 2024 6
29 Oct 2024 2
29 Oct 2024 10
29 Oct 2024 2
29 Oct 2024 3
29 Oct 2024 3
29 Oct 2024 4
28 Oct 2024 3
28 Oct 2024 470