देश प्रेम



देश प्रेम


देश प्रेम की आज एक नई परिभाषा देते हैं,

चलो आज क्यों न दोबारा भारत की एक नई यात्रा करते हैं।

इस यात्रा में हमारे साथ होंगे भारत मां के वो सफेद चोले वाले सपूत

जिन्हे कुछ विशेष अवसरों पर ही मां की याद आती है।


यह मां के दूर के सपूत है भाईयो जो यही रहते और पलते हैं

पर जाकर उन्हें अपने याद आते हैं।

जिन्होने देश प्रेम को केवल वोटर कार्ड बनाकर रख दिया है।


भारत की वो धरती और संस्कृति जो बलिदानों से जानी जाती थी

वो अब केवल दानों से जानी जाती है

क्या यहीं देश प्रेम है

वाह वाह क्या बदलाव आया।

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