Chalak lomri

एक बार की बात है, एक छोटा सा गांव था। उस गांव में एक बुद्धिमान लोमड़ी रहती थी। वह बहुत चालाक थी और हमेशा कुछ न कुछ चोरी करती रहती थी। एक दिन, वह गांव के मुर्गे के घर गई। मुर्गा सो रहा था। लोमड़ी ने धीरे से मुर्गे के पास जाकर कहा, "मुर्गे भाई, आज रात को चांद बहुत खूबसूरत चमक रहा है। चलो, छत पर जाकर देखते हैं।"

मुर्गा उठ गया और लोमड़ी के साथ छत पर चला गया। जैसे ही वे छत पर पहुंचे, लोमड़ी ने मुर्गे को धक्का दे दिया। मुर्गा नीचे गिर गया और लोमड़ी ने उसे खा लिया।

इस तरह, लोमड़ी ने अपनी चालाकी से मुर्गे को खा लिया। लेकिन, गांव के लोग लोमड़ी की चालाकी से बहुत परेशान हो गए थे। उन्होंने मिलकर लोमड़ी को पकड़ लिया और उसे गांव से दूर ले जाकर छोड़ दिया।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि चालाकी से काम नहीं चलता। ईमानदारी और मेहनत ही सफलता का रास्ता 

है।

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