‼️😭😭सुधा मेम की कहानी 😭😭‼️
305 Nov 2024
सुधा मेम .....आपको मालिक अपने केबिन में बुला रहे हैं .....प्यून ने टेबल पर अपने काम में व्यस्त सुधा से कहा......
ठीक है..... जाती हूं ....सुधा बोली....मगर मन मे सोचने लगी ....कम्पनी मालिक मोहनजी ने मुझे क्यों बुलाया है खैर बुलाया है तो जाना पडेगा....
सर ....आपने मुझे बुलाया....
जी हां .... बैठिए.....कम्पनी मालिक मोहनजी ने सामने की कुर्सी की ओर इशारा किया....
मोहनजी बड़े ध्यान से सुधा के चेहरे की ओर देख रहे थे उसके मुख पर सौम्य, संतोष का भाव था.... अचानक उन्होंने एक पेपर उसके सामने रखते हुए कहा....
मिस सुधा.....आपने दुबारा प्रमोशन से इनकार कर दिया .....बड़ी हैरानी हुई ....
आज जहां आँफिस मे हरेक पदोन्नति के लिए होड़ सी लगाए है ....और एक आप हैं कि दूसरी बार इनकार कर रही हैं....आखिर कारण क्या है....
सुधा बड़े निर्लिप्त भाव से मुस्कुरा उठी....
सर.... ज़िन्दगी मे इच्छाएं अनन्त हैं सब इच्छाओं के झूले में झूलते रहते है बड़ी बड़ी पेंगे लगाते हैं पर मैं इस पर विश्वास नही करती....मैं तो उतनी ही पेंग लगाती हूँ जितने की मुझे आवश्यकता है....मैं जिस पोस्ट पर हूँ उससे खुश हूं.....
मिस सुधा ..... मैं आपको लगभग तीन वर्षों से देख रहा हूं कम्पनी में .....मैनेजर सहित तमाम कर्मचारी आपके काम की तारीफ करते हैं ...... मगर ....तरक्की किसे नहीं पसंद...आखिर कोई तो कारण होगा जो आप मुझसे छिपा रही हैं ....एक गौरवशाली पद ....
गाड़ी बंगले की सहूलियत....बड़ा शहर....भला किसको आकर्षित नहीं करता...... जिंदगी एक सुनहरे मोड़ पर आपका इंतजार कर रही है और आप मोड़ की ओर जाना ही नहीं चाहतीं.....
अच्छा एक मालिक और कर्मचारी के नाते ना सही एक दोस्त के नाते ही सही ....कुछ तो बताइए ....
सुधा ने गंभीर मुद्रा से एक बार मोहनजी की ओर देखा और फिर बोली...सर मुझे मेरे माता पिता के प्रति अपना धर्म आकर्षित करता है....मेरे माता पिता के विवाह के कई साल बाद मेरा जन्म हुआ और मैं इकलौती बन कर रह गयी....
मम्मी पापा काफी उम्र के हो चले हैं आप तो जानते ही हैं कि एक पौधा कहीं भी मिट्टी में पनप जाता है पर वृक्ष नहीं....उन्हें यहां रहना पसंद है यहां वह जिंदगी जी रहे हैं हंसी खुशी और सर एक नये शहर में अगर उनके लिए नया जलवायु अनुकूल नहीं हुआ तो......
माना बड़ा बंगला गाड़ी ....ओहदा होगा मगर जिनके लिए मेरा जीवन है यदि वह वहां खुश नही रह पाऐगें तो ....ऐसे ओहदे बंगले गाड़ी.... मेरे लिए बेमानी हैं सर....
अतः मैं ये जगह छोड़ कर नहीं जा सकती.....
मगर....आपने अबतक शादी ....आइ मीन .... .....
सर.....मैंने कहा ना .....मेरे माता पिता पहले मेरी जिम्मेदारी हैं ....और आजकल ऐसे लड़के नहीं मिलते जो लडकी के माता पिता की भी सेवा करने की अनुमति दें ....मतलब लड़केवाले अपने परिवार के आगे भूल जाते हैं एक लड़की के भी माता पिता हैं ....बस इसलिए ....
इसलिए आपने अबतक शादी नहीं की .....मोहनजी ने मुस्कुराते हुए कहा....
जी.....इसलिए मुझे कोई प्रमोशन नहीं चाहिए सर .....
उसने अंतिम फैसला सुनाया....
मोहनजी सुधा के धर्म निष्ठा पर मुग्ध हो उठे....उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा....
क्या मुझसे शादी करोगी......
मेरा दुनिया में कोई नहीं है एक अच्छे जीवनसाथी की अपेक्षा सबको होती है जो मुझे अबतक नहीं मिली थी मगर आपको देखकर लगता है मेरी तलाश पूरी हो गई है ....मुझे एक अच्छे जीवनसाथी के साथ साथ माता पिता का प्यार भी मिल जाएगा ....
तो कहिए ....मुझे अपना जीवनसाथी बनाओगी.....
कोई जल्दी नहीं है सोच समझकर .... जबाब देना ....मुझे इंतजार रहेगा....
इस अप्रत्याशित निवेदन से सुधा निःशब्द हो गयी ...
उसने धीरे से हाथ आगे मोहनजी की ओर बढ़ा दिया......
अब एकसाथ दो जिंदगी एक सुनहरे मोड़ की ओर अग्रसर थी......
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