जीवन में सफलता
807 Nov 2024
उजाले चुपचाप खिल्ली उड़ाते रहे।
उन्हें आदत थी दोस्त बदलने की,
हम ता-ज़िंदगी दोस्ती निभाते रहे।
मैं तीमारदारी करता रहा जिनकी
वो मेरे जिस्मोे-जाँ से दूर जाते रहे।
लोग मोहब्बत भी बदलते रहते हैं,
हम सूखे फूल डायरी में सजाते रहे।
रसूख़दारों ने की कोशिश हमें गिराने की,
और हम पसमांदों को उठाते रहे।
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना
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