The Haunted Mansion: A Hilarious & Suspenseful Ghost Story
1309 Nov 2024
हंसी और डर का अजीब संगम
यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ लोग सदियों से डर के साये में जी रहे थे। गाँव के बाहर एक पुरानी हवेली खड़ी थी, जिसे कोई भी पास जाने की हिम्मत नहीं करता था। गाँववाले कहते थे कि वह हवेली किसी पुराने रईस की थी, जो अब उस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनका भूत वहां घूमता है। परंतु, इस कहानी का एक अलग ही मोड़ है—यह सिर्फ डर और सस्पेंस नहीं, बल्कि हंसी का तड़का भी है!
किसी एक दिन, गाँव में एक नया लड़का आया जिसका नाम था सोनू। सोनू को शहर की भीड़-भाड़ और तकनीकी दुनिया बहुत अच्छी लगती थी, लेकिन उसे पहाड़ी इलाके और शांत वातावरण में जीने का भी शौक था। वह पुराने हवेली के बारे में सुनता आया था, लेकिन उसने कभी ध्यान नहीं दिया। एक दिन, गाँव के कुछ लड़कों ने उसे चुनौती दी कि वह हवेली में एक रात बिताए।
“क्या तुम सचमुच साहसी हो?” एक लड़के ने हंसी के साथ पूछा।
“बिलकुल!” सोनू ने गर्व से जवाब दिया, और अगली शाम हवेली की तरफ बढ़ गया।
सोनू ने हवेली के बाहर खड़ी हुई पुरानी लकड़ी की गेट को खटखटाया। गेट का एक पल्ला ध्वस्त था और हवा के साथ आवाज कर रहा था, जैसे कोई आहें भर रहा हो। “क्या बकवास है!” सोनू ने मन ही मन सोचा। वह अंदर घुस गया, लेकिन उसके कदमों की आवाज़ सुनकर हवेली की दीवारें मानो चुपचाप मुस्कुराईं।
हवेली के अंदर जाने के बाद, सोनू ने देखा कि सब कुछ बहुत पुराना था। दीवारों पर जाले लगे हुए थे और खिड़कियाँ बंद थीं। लेकिन वह जो सबसे अजीब चीज़ थी, वह थी दीवारों पर चस्पा की गई हंसी की आवाजें।
“क्या है यह?” सोनू हैरान होकर बोला। दीवारों पर कुछ अजीब सी आवाजें आ रही थीं, जैसे कोई हंसी की गूंज रही हो, लेकिन सब कुछ शांत था।
वह अंदर और गहरे तक बढ़ता चला गया। अचानक, उसने सोचा, "यह तो बहुत मस्ती का माहौल है!" और हंसी में बोला, “कहाँ है वह भूतिया आत्मा जो मुझे डराने वाली थी?"
तभी अचानक, हवेली के एक कमरे से कुछ आवाज़ें आईं। “क्या वो कोई सियार है?” सोनू ने चुपके से कहा। लेकिन जैसे ही वह कमरे की तरफ बढ़ा, दरवाजा खुद-ब-खुद बंद हो गया। उसकी धड़कन तेज हो गई, लेकिन उसने डरने की बजाय इसे एक मजाक समझा। उसने दरवाजे को धक्का दिया, और जैसे ही वह अंदर घुसा, कमरे का दृश्य उसे चौंका गया।
कमरे में पुराने सोफे पर एक आदमी बैठा था। उसकी आँखें पूरी तरह से बंद थीं, लेकिन उसके चेहरे पर एक डरावनी हंसी थी, जो एकदम भूतिया लग रही थी।
"क्या... क्या तुम...?" सोनू हड़बड़ाते हुए बोला।
आदमी ने हँसते हुए कहा, "आ, तू भी मेरी तरह डरने आया है?"
सोनू ने धीरे से कहा, "तुम कौन हो?"
आदमी ने जवाब दिया, "मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा था, सोनू! डर नहीं लगता?" फिर वह हंसी में गुम हो गया।
सोनू कुछ समझ नहीं पाया। यह क्या था? क्या वह आदमी भूत था? लेकिन उसका हंसी में मजाक उड़ाना भी एक अजीब मामला था। सोनू ने तसल्ली से दरवाजा बंद किया और बाहर की तरफ बढ़ने लगा।
सोनू हवेली में घूमता रहा। जगह-जगह पर पुराने बर्तन पड़े थे, और खिड़कियों के पर्दे हल्की हवा से लहर रहे थे। अचानक, उसने सुनी- "हां... हां... यह तुमसे कहना है...!"
सोनू के कान खड़े हो गए। वह आगे बढ़ा, और अचानक एक दीवार के पास से आवाज आई।
"क्या कर रहे हो तुम?"
सोनू चौंक कर पीछे मुड़ा। एक अजीब सी लड़की सामने खड़ी थी, उसकी आँखें बड़ी और चमकदार थीं। लड़की ने कहा, "तुम क्यों आए हो यहाँ?"
“मैं… मैं तो बस यहाँ एक रात बिता रहा था।” सोनू ने हल्की आवाज में कहा।
लड़की ने कहा, "सच में?" फिर अचानक वह गायब हो गई।
सोनू का दिल जोर से धड़कने लगा, लेकिन उसने सोचा कि यह सब उसकी कल्पना हो सकती है। शायद किसी ने यह सब मजाक के लिए किया हो।
सोनू ने हवेली के एक और कमरे में जाकर देखा। अंदर सब कुछ सामान्य था, लेकिन जैसे ही वह बाहर निकलने लगा, वह फिर से उसी आदमी से टकरा गया। अब वह आदमी पूरी तरह से बदल चुका था। उसकी हंसी में अब कोई खुशी नहीं थी, बल्कि एक दर्द और खौफ का मिश्रण था।
"तुम क्यों आए हो यहाँ?" आदमी ने फिर से पूछा।
सोनू ने कहा, "मुझे डर नहीं लग रहा, तुम कोई साधारण आदमी हो।"
आदमी ने एक जोर से चीख मारी, और अचानक वह खुद ब खुद गायब हो गया। सोनू घबराया नहीं, लेकिन फिर भी वह समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या हो रहा है।
तभी सोनू ने एक और आवाज सुनी, "तुम घबराओ मत, सोनू।" यह आवाज उसी लड़की की थी। इस बार, लड़की हंसते हुए बोली, "मैं तुम्हारा डर और हंसी दोनों देख सकती हूँ!"
सोनू की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, और वह भागने की सोचने लगा। लेकिन जैसे ही वह बाहर भागा, वह उसी गेट पर पहुंचा जहाँ से उसने प्रवेश किया था। गेट खुला हुआ था, और सामने खड़ी हुई थी पूरी गाँव की टोली, जो हंसी में झूम रही थी।
"क्या तुमने देखा, सोनू? तुम्हारी हिम्मत का पूरा मजाक बना दिया हमने!" गाँव के एक लड़के ने हंसी में कहा।
सोनू समझ चुका था कि सब एक बड़ी शरारत थी—वह सब उसे डराने के लिए ही वहां मौजूद थे! और अब, सोनू भी ठहाके मारते हुए हं
अंत में, सोनू ने सोचा कि कभी-कभी डर और हंसी का सामना करना ज़रूरी होता है। हो सकता है
कि जब हम डर को सामना करते हैं, तो वही डर हमें हंसी का कारण भी बना सकता है।
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