इंसान को उसकी सफलता कैसे मिलती है?
913 Nov 2024
एक गाँव में एक साधारण से किसान, रमेश अपने बेटे राहुल के साथ रहता था। उनके पास थोड़ी सी जमीन थी। और वे उसी पर खेती कर अपना गुजारा करते थे।
एक दिन रमेश को गाँव के एक बुज़ुर्ग से पता चला कि उनके खेत में एक बहुत ही खास चीज़ छुपी है। क्या ये बात सच थी? रमेश खुद नहीं जानता था, लेकिन बुज़ुर्ग ने उसे यह कहकर और चौंका दिया।
कि यह खास चीज़ ही उनके पूरे परिवार की ज़िंदगी बदल सकती है। रमेश ने अपने बेटे राहुल से यह बात साझा की। राहुल ने उत्सुकता से पूछा, "क्या वो चीज़ सोना है? या फिर हीरे-जवाहरात?"
परंतु रमेश खुद भी नहीं जानता था। उन्होंने बेटे को सिर्फ इतना बताया कि उन्हें उस खास चीज़ को ढूंढ़ना है और ये काम जितनी जल्दी हो सके, करना चाहिए। क्या वो उसे ढूंढ़ पाएंगे?
क्या सच में कुछ ऐसा था जो उनकी किस्मत बदल सकता था? राहुल में जिज्ञासा तो थी ही, पर उसके मन में डर भी था – कहीं यह सब एक झूठ न हो?
दोनों ने मिलकर खेत को खुदाई शुरू की। क्या ये सही तरीका था? खुदाई के दौरान दोनों को बहुत थकान होती, उनके हाथों में छाले पड़ जाते, पर उम्मीद के सहारे वे हर दिन खेत में मेहनत करते रहे।
क्या उनकी मेहनत रंग लाएगी? वे दिन-रात मेहनत करते रहे, मगर हफ्तों बीत गए और उन्हें कुछ नहीं मिला। लोग उन्हें देखकर हँसते और कहते, "पागल हो गए हैं दोनों बाप-बेटे! आखिर खेत में क्या मिलेगा?" पर रमेश और राहुल ने हार नहीं मानी।
एक दिन, राहुल खुदाई करते-करते निराश हो गया और उसने पिताजी से कहा, "हम यहाँ क्या खोज रहे हैं, पिताजी? क्या यह सब बेकार की कोशिश है?" रमेश ने उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा और कहा, "बेटा, कभी-कभी हमें हमारी मेहनत का फल तुरंत नहीं मिलता, पर इसका मतलब यह नहीं कि हमें मेहनत करना छोड़ देना चाहिए।"
कुछ समय बाद, उनके खेत की मिट्टी अचानक बेहद उपजाऊ हो गई। क्या ये चमत्कार था? लोग इस खेत की उपज देखकर दंग रह गए। रमेश ने जो गेहूं और सब्जियाँ बोई थीं।
वह सबसे बेहतरीन फसल में बदल गईं। खेत से उन्हें इतनी पैदावार होने लगी कि न सिर्फ उनके घर की बल्कि पूरे गाँव की ज़रूरतें पूरी होने लगीं।
राहुल ने अपने पिता से पूछा, "तो पिताजी, क्या यही वो खास चीज़ थी जिसकी बात बुजुर्ग ने की थी?" रमेश ने गंभीरता से उत्तर दिया, "हाँ, बेटा। असली "खास चीज़" मेहनत, धैर्य, और अपने काम के प्रति सच्ची लगन होती है। उस बुजुर्ग ने कभी हमें झूठ नहीं कहा था। हम में मेहनत और सब्र की ताकत को पहचानने की बात कही थी।"
इस घटना ने राहुल को जिंदगी का एक बड़ा सबक सिखाया। उसे समझ में आ गया कि मेहनत और धैर्य से ही इंसान को उसकी असली सफलता मिलती है, चाहे उसे पाने में समय क्यों न लगे।
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