भारत का मुफ्त अनाज ? कहां जा रहा है हर साल 69000 करोड़ रुपये के राशन में सेंध

हर साल 2 करोड़ टन अनाज का लीकेज होता है एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में खामी बनी हुई है इसके अनुसार, यह लीकेज 28% तक है। इसका मूल्य 69,000 करोड़ रुपये है। आशंका है कि यह अनाज खुले बाजार में बेचा जाता है या निर्यात किया जाता है।

नई दिल्‍ली :   देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में खामियां अब तक बनी हुई हैं। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 69,000 करोड़ रुपये का अनाज गलत हाथों में चला जाता है। पीडीएस के जरिये 28% अनाज गरीबों तक पहुंच ही नहीं पाता। यह रिपोर्ट इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन्स (ICRIER) ने तैयार की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार हर साल 81.4 करोड़ लोगों को मुफ्त या सस्ता अनाज देने के लिए चावल और गेहूं खरीदती है। लेकिन, इसमें से बहुत बड़ा हिस्सा 2 करोड़ टन या तो खुले बाजार में बिक जाता है या फिर दूसरे देशों में निर्यात कर दिया जाता है।रिपोर्ट को बनाने में ICRIER में इन्‍फोसिस चेयर प्रोफेसर अशोक गुलाटी, राया दास और रंजना रॉय ने योगदान दिया है। यह सालाना नुकसान है। उन्‍होंने कहा अनाज कहां जा रहा है? हो सकता है कि इसे खुले बाजार में बेचा जा रहा हो या फिर निर्यात किया जा रहा हो।

कहां क‍ितनी चोरी? : अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और गुजरात जैसे राज्यों में अनाज की चोरी सबसे ज्‍यादा होती है। दूसरी ओर, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने इस मामले में काफी सुधार दिखाया है। पूर्वोत्तर राज्यों में डिजिटलीकरण की कमी के कारण यह समस्या और भी गंभीर है।बिहार में 2011-12 में जहां 68.7% अनाज की चोरी होती थी। वहीं, 2022-23 में यह घटकर 19.2% रह गई। इसी तरह पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा 69.4% से घटकर 9% रह गया। हालांकि, कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्‍यादा 33% अनाज की चोरी होती है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में भी यह समस्या गंभीर बनी हुई है।

बेहतरी के ल‍िए द‍िए गए हैं ये सुझाव : राशन कार्ड को आधार से जोड़ने से वितरण व्यवस्था में सुधार हुआ है। लेकिन, फिर भी बड़े पैमाने पर चोरी जारी है। इससे पता चलता है कि पीडीएस में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए निगरानी प्रणाली को बेहतर बनाने के साथ-साथ ढांचागत सुधारों की भी जरूरत है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू होने के बावजूद चोरी जारी है।भारत की पीडीएस प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी प्रणालियों में से एक है। इसके जरिए 80 करोड़ से ज्‍यादा लोगों को सस्ता अनाज मुहैया कराया जाता है। लेकिन, इस प्रणाली में कई खामियां हैं। इसकी वजह से सरकार को हर साल भारी नुकसान उठाना पड़ता है।विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस महत्वपूर्ण कल्याणकारी कार्यक्रम में मौजूद कमियों को दूर करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए।



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