पंचतंत्र की कहानी: शेर और चूहा

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक शेर रहता था। वह बहुत ताकतवर था, और सारे जानवर उससे डरते थे। एक दिन शेर गहरी नींद में सो रहा था। उसी समय, एक छोटा चूहा वहां खेलने लगा और गलती से शेर के ऊपर चढ़ गया।


शेर की नींद खुल गई। उसने गुस्से में चूहे को अपने बड़े पंजों से पकड़ लिया और उसे मारने ही वाला था कि चूहा बोला,

"महाराज, कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मैं एक छोटा सा चूहा हूं। अगर आप मुझे छोड़ देंगे, तो एक दिन मैं आपकी मदद जरूर करूंगा।"


शेर ने यह सुनकर ज़ोर से हंसते हुए कहा,

"तुम जैसे छोटे चूहे से मुझे क्या मदद मिलेगी?"

लेकिन फिर उसने दया करके चूहे को छोड़ दिया।


कुछ समय बाद, शेर जंगल में एक शिकारी के जाल में फंस गया। उसने खूब जोर लगाया, लेकिन जाल से बाहर नहीं निकल सका। वह जोर-जोर से दहाड़ने लगा। चूहे ने शेर की आवाज सुनी और दौड़ता हुआ वहां पहुंचा।


चूहे ने जल्दी-जल्दी अपने नुकीले दांतों से जाल को काट दिया और शेर को आज़ाद कर दिया।

चूहे ने मुस्कुराते हुए कहा,

"महाराज, मैंने कहा था ना कि एक दिन मैं आपकी मदद करूंगा।"


शेर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने कहा,

"तुमने आज मुझे सिखाया कि कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता। हर किसी की अपनी ताकत होती है।"


शिक्षा:

हमें दूसरों को छोटा नहीं समझना चाहिए। हर किसी की अपनी खासियत होती है।

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