सुप्रीम कोर्ट वक्फ संशोधन पर सुनवाई करेगा।
1410 Apr 2025
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल, 2025 को सुनवाई करेगा। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ करेगी। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर मुख्य याचिका में तर्क दिया गया है कि यह कानून "स्पष्ट रूप से मनमाना है, धर्म के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देता है, शरीयत अधिनियम का उल्लंघन करता है और मुस्लिम समुदाय को अपने धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन के अधिकार से वंचित करता है"।
मुख्य विवरण:
पीठ की संरचना: पीठ की अध्यक्षता सीजेआई संजीव खन्ना करेंगे और इसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और के वी विश्वनाथन शामिल होंगे।
सुनवाई की तारीख: सुनवाई 16 अप्रैल, 2025 को निर्धारित की गई है।
मुख्य याचिका: मुख्य याचिका एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर की गई है।
अन्य याचिकाकर्ता: आप विधायक अमानतुल्ला खान, डीएमके के ए राजा, मुस्लिम धर्मगुरुओं के संगठन समस्त केरल जामे-इय्यातुल उलमा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स सहित विभिन्न निकायों द्वारा अतिरिक्त याचिकाएं दायर की गई हैं।
केंद्र सरकार का रुख: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर की है, जिसमें अधिनियम को चुनौती देने वाली लंबित रिट याचिकाओं पर कोई भी आदेश पारित करने से पहले सुनवाई का अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें: याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि संशोधन "वक्फ संपत्तियों पर मनमाने प्रतिबंध लगाते हैं, मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करते हैं और शरीयत अधिनियम का उल्लंघन करते हैं।" वे यह भी तर्क देते हैं कि अधिनियम अन्य धार्मिक बंदोबस्तों के लिए मौजूद नहीं होने वाले प्रतिबंधों को लागू करके मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 300 ए (संपत्ति अधिकार) का उल्लंघन करता है।
पृष्ठभूमि: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह 8 अप्रैल, 2025 को लागू हुआ। इस अधिनियम का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन को संबोधित किया जा सके, जो इस्लामी कानून के तहत विशेष रूप से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित संपत्तियां हैं।
अतिरिक्त संदर्भ:
विरोध और विरोध: वक्फ (संशोधन) विधेयक के पारित होने का संसद में कड़ा विरोध हुआ और देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने अधिनियम की आलोचना "मुस्लिम विरोधी" और "असंवैधानिक" के रूप में की है।
कानूनी मिसालें: याचिकाकर्ताओं ने पिछले सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया है कि धार्मिक संपत्तियों का नियंत्रण धर्मनिरपेक्ष अधिकारियों को सौंपना धार्मिक और संपत्ति अधिकारों का उल्लंघन है।
सरकार का बचाव: सरकार ने अधिनियम का बचाव एक "ऐतिहासिक सुधार" के रूप में किया है जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाकर अल्पसंख्यक समुदाय को लाभ पहुंचाना है।
निष्कर्ष: 16 अप्रैल, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ कानूनी चुनौती में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। इस मामले में अधिनियम की संवैधानिक वैधता और मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और संपत्ति अधिकारों पर इसके प्रभाव को संबोधित करने की उम्मीद है।
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