ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर अमेरिकी हमले के बाद सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण, चैटजीपीटी ने खोले राज

नई दिल्ली, 24 जून, 2025: ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर हाल ही में हुए अमेरिकी हवाई हमलों ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा उपलब्ध कराए गए उपग्रह चित्रों का विश्लेषण करने के लिए चैटजीपीटी को नियुक्त किया गया था, जिससे हमले के प्रभाव का पता चला। यह खबर गूगल पर हिंदी में ट्रेंड कर रही है, क्योंकि लोग इस घटना के बारे में अधिक जानना चाहते हैं। आइए चैटजीपीटी के विश्लेषण और इसके निहितार्थों को विस्तार से समझते हैं।

चैटजीपीटी का उपग्रह चित्र विश्लेषण


चैटजीपीटी ने मैक्सार टेक्नोलॉजीज से उपग्रह चित्रों का अध्ययन किया, जो 22 जून, 2025 को अमेरिकी हमले के बाद लिए गए थे। विश्लेषण से निम्नलिखित मुख्य बिंदु सामने आए:


सतह के निशान: चित्रों में सतह पर गहरे निशान दिखाई दिए, जो बंकर-बस्टर बमों के प्रभाव को दर्शाते हैं।


मलबे का क्षेत्र: हमले के बाद मलबा बिखरा हुआ दिखाई दिया, जो संयंत्र के ऊपरी हिस्सों को नुकसान होने का संकेत देता है।


रंग परिवर्तन: प्रभावित क्षेत्र में रंग परिवर्तन देखा गया, जो हाल ही में हुए विस्फोट या प्रभाव का परिणाम हो सकता है।


छोटे गड्ढे या छेद: छह छोटे गड्ढे या गड्ढे देखे गए, जो संभवतः GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बमों के प्रवेश बिंदु हैं।


चैटजीपी ने यह भी नोट किया कि ये निष्कर्ष केवल उपग्रह चित्रों पर आधारित हैं। भूकंपीय डेटा, ऑन-साइट फ़ोटोग्राफ़ी या खुफिया रिपोर्ट जैसे ज़मीनी सबूतों के बिना, बंकर-बस्टर बमों के पूर्ण प्रभाव का आकलन करना चुनौतीपूर्ण है।


हमले का पृष्ठभूमि संदर्भ

तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में एक पहाड़ के नीचे बना फ़ोर्डो परमाणु संयंत्र ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यूएस बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने 14 GBU-57 MOP बमों का उपयोग करके इस अत्यधिक सुरक्षित सुविधा को निशाना बनाया। यूएस ज्वाइंट चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ के प्रमुख जनरल डैन केन ने कहा कि शुरुआती आकलन से पता चला है कि सुविधा को "बेहद गंभीर क्षति" हुई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि सभी परमाणु सुविधाएँ पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं या नहीं।

ईरान का दावा और विशेषज्ञों की राय


ईरान ने दावा किया कि फोर्डो को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है और प्लांट को पहले ही खाली करा लिया गया है। ईरानी सांसद मोहम्मद मनन रईसी ने कहा कि नुकसान सतह तक ही सीमित है और इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सैटेलाइट इमेज में दिखाई देने वाले छह गड्ढे और सुरंग के प्रवेश द्वार बंद होने से प्लांट की कार्यक्षमता पर गंभीर असर पड़ सकता है। पूर्व संयुक्त राष्ट्र परमाणु निरीक्षक डेविड अलब्राइट ने कहा, "एमओपी बमों ने संभवतः प्लांट को बेकार कर दिया।"


वैश्विक प्रतिक्रिया और चिंताएँ

इस हमले ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है। ईरान ने अमेरिका पर "खतरनाक युद्ध" शुरू करने का आरोप लगाया जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे "महान सैन्य सफलता" बताया। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की कि हमले के बाद किसी भी साइट से रेडियोधर्मी रिसाव नहीं हुआ। फिर भी, क्षेत्रीय युद्ध की आशंकाएँ बढ़ गई हैं।


निष्कर्ष

चैटजीपीटी विश्लेषण और सैटेलाइट इमेज से संकेत मिलता है कि फोर्डो प्लांट को गंभीर नुकसान हुआ है, लेकिन इसकी भूमिगत सुविधाओं की स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है। यह घटना न केवल तकनीकी और सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक भूराजनीति के लिए भी गंभीर प्रश्न उठाती है।

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