मुंबई में स्कूल टीचर ने 16 वर्षीय छात्र को फंसाकर उसका यौन शोषण किया

मुंबई के एक प्रतिष्ठित स्कूल में 40 वर्षीय महिला टीचर द्वारा 16 वर्षीय छात्र के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में टीचर पर न केवल यौन शोषण का आरोप है, बल्कि यह भी सामने आया है कि उसने छात्र को भावनात्मक रूप से प्रभावित करके अपने जाल में फंसाया। पुलिस ने टीचर को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है। आइए जानते हैं इस मामले की पांच चौंकाने वाली बातें। 

टीचर ने पहले छात्र के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाया। उसने कक्षा में विशेष ध्यान देकर और व्यक्तिगत बातचीत के जरिए छात्र का विश्वास जीता। धीरे-धीरे उसने छात्र को यह विश्वास दिलाया कि वे दोनों "एक दूसरे के लिए बने हैं"। यह भावनात्मक रूप से प्रभावित करने (ग्रूमिंग) का एक स्पष्ट उदाहरण है, जहां टीचर ने अपने पद का दुरुपयोग किया। रिपोर्ट के अनुसार, टीचर छात्र को दक्षिण मुंबई के पांच सितारा होटलों में ले गई और उसका यौन शोषण किया। यह एक साल से अधिक समय तक चलता रहा। इन मुलाकातों को गुप्त रखने के लिए टीचर ने सावधानी बरती और छात्र को डराने-धमकाने का भी सहारा लिया। पुलिस के मुताबिक, इस अपराध में स्कूल के एक अन्य कर्मचारी ने भी शिक्षक की मदद की। इस कर्मचारी ने मीटिंग आयोजित करने में मदद की और छात्र को शिक्षक के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया। पुलिस इस सहकर्मी की तलाश कर रही है, जो फिलहाल फरार है। 


छात्र ने बताया कि शिक्षक द्वारा उसे बार-बार धमकाया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। शिक्षक ने उसे यह कहकर चुप रहने के लिए मजबूर किया कि अगर उनके संबंधों का खुलासा हुआ तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। आखिरकार तंग आकर छात्र ने अपने परिवार को इस बारे में बताया, जिसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। मुंबई पुलिस ने शिक्षक को POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है। जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस तरह के और भी मामले हैं या इस अपराध में और लोग शामिल हैं। स्कूल प्रशासन ने शिक्षक को निलंबित कर दिया है और कहा है कि वह जांच में सहयोग करेगा। इस घटना पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। लोग स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं। इंस्टाग्राम पर कई यूजर्स ने शिक्षक की हरकतों को "शर्मनाक" और "यौन रूप से स्पष्ट" बताया है और स्कूलों में सख्त निगरानी की मांग की है। यह मामला शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षकों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाता है।


यह मामला न केवल एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से भरोसे के पद का दुरुपयोग करके बच्चों को निशाना बनाया जा सकता है। समाज और स्कूल प्रशासन को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।

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