निजीकरण के दुष्परिणाम: TCS इस साल 12,261 कर्मचारियों की करेगी छंटनी

निजीकरण के दुष्परिणाम: TCS इस साल 12,261 कर्मचारियों की करेगी छंटनी

 🏢 निजीकरण की कीमत: मुनाफे के आगे मानव संसाधन?


मुंबई, 27 जुलाई 2025 — देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने इस वर्ष 12,261 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है। यह खबर न केवल आईटी सेक्टर के लिए बल्कि देश के निजीकरण और रोजगार सुरक्षा के भविष्य को लेकर भी चिंता का विषय बन चुकी है।


इस घोषणा के बाद से उद्योग जगत, कर्मचारियों और विशेषज्ञों के बीच बहस छिड़ गई है कि निजीकरण और मुनाफे की अंधी दौड़ में क्या इंसानी संसाधनों की कोई कदर नहीं रह गई है?



 📉 छंटनी के पीछे का कारण क्या है?


TCS के अनुसार, छंटनी का निर्णय “कंपनी की रणनीतिक री-स्ट्रक्चरिंग” के तहत लिया गया है। कंपनी ने कहा है कि यह कदम ऑटोमेशन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और क्लाउड शिफ्टिंग जैसी नई तकनीकों को अपनाने के चलते लिया गया है।


 कारण:


 क्लाइंट की मांग में बदलाव

 लागत में कटौती की नीति

 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन से मानव संसाधनों की आवश्यकता कम हुई

 वैश्विक मंदी के कारण प्रोजेक्ट्स की संख्या में गिरावट



 👨‍💻 किस पर पड़ेगा असर?


छंटनी मुख्यतः मिड-लेवल और एंट्री-लेवल कर्मचारियों को प्रभावित करेगी, जिनकी संख्या सबसे अधिक होती है।

खासकर:


 0–3 साल के अनुभव वाले युवा प्रोफेशनल्स

 नॉन-कोडिंग और सपोर्ट रोल्स

 आउटसोर्सिंग आधारित प्रोफाइल


इससे न केवल नौकरी खोने वालों की आजीविका प्रभावित होगी, बल्कि भविष्य के लिए भी एक अनिश्चितता का माहौल बनेगा।



 📊 डेटा में देखें संकट


| वर्ष | छंटनी की संख्या | मुख्य कारण |

| - | | |

| 2023 | 5,200 | मंदी का प्रभाव |

| 2024 | 8,900 | टेक्नोलॉजी अपग्रेड |

| 2025 | 12,261 | ऑटोमेशन व प्रॉफिट ऑप्टिमाइजेशन |


इन आंकड़ों से साफ़ है कि वर्ष दर वर्ष मानव संसाधन पर निर्भरता घटती जा रही है, और कंपनियां टेक्नोलॉजी को प्राथमिकता दे रही हैं।



 🎙️ विशेषज्ञों की राय


मानव संसाधन विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता का कहना है:


> “कंपनियों को प्रॉफिट और ऑप्टिमाइजेशन के बीच संतुलन बनाना चाहिए। अगर एक शिक्षित युवा को बार-बार छंटनी का सामना करना पड़ेगा, तो देश का सामाजिक संतुलन भी बिगड़ेगा।”


IT विश्लेषक मानसी जोशी कहती हैं:


“ऑटोमेशन अच्छा है, लेकिन इससे पहले स्किल डेवलपमेंट और री-स्किलिंग का माहौल तैयार करना चाहिए था।”



 🧠 क्या कहता है निजीकरण?


जब कंपनियां केवल मुनाफा और शेयरहोल्डर वैल्यू के लिए निर्णय लेने लगती हैं, तो मानव संसाधन, जो किसी भी संस्थान की रीढ़ होते हैं, वे सबसे पहले प्रभावित होते हैं।


निजीकरण में:


 सामाजिक सुरक्षा कम होती है

 नौकरी स्थिरता पर संकट आता है

 श्रमिक अधिकार कमजोर पड़ते हैं



 👥 कर्मचारियों की पीड़ा


कई कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा किया:


 “पांच साल दिए कंपनी को, और एक ईमेल से नौकरी खत्म कर दी।”

 – प्रतीक शर्मा, पूर्व TCS कर्मचारी


 “छंटनी के बाद अब बैंक लोन और बच्चों की फीस का क्या?”

 – रेखा वर्मा, सॉफ्टवेयर इंजीनियर



 🔮 समाधान की ओर: आगे क्या?


इस संकट से उबरने के लिए जरूरी है:


 री-स्किलिंग प्रोग्राम्स

 सरकार की ओर से रोजगार संरक्षण नीति

 CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत कर्मचारी सपोर्ट सिस्टम

 यूनियन और सरकारों की सक्रिय भागीदारी


 ✍️ निष्कर्ष

TCS जैसी कंपनियों की छंटनी यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या निजीकरण और टेक्नोलॉजी की दौड़ में इंसान पीछे छूट जाएगा?

भारत जैसे देश में, जहां युवा जनसंख्या सबसे बड़ी ताकत है, वहां नौकरी का संकट सामाजिक और आर्थिक असंतुलन को जन्म दे सकता है।


समय की मांग है कि मुनाफे से ज्यादा मानवता, ऑटोमेशन से पहले अवसर और टेक्नोलॉजी से पहले ट्रेनिंग को प्राथमिकता दी जाए।

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