ट्रंप ने भारत पर लगाया 25% अतिरिक्त टैरिफ, अब कुल शुल्क हुआ 50%, 21 दिन बाद लागू होंगे नए नियम
507 Aug 2025
🇺🇸 ट्रंप ने भारत पर लगाया 25% अतिरिक्त टैरिफ, अब कुल शुल्क हुआ 50%, 21 दिन बाद लागू होंगे नए नियम
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे अब कुल शुल्क 50% हो गया है, जो 21 दिनों में प्रभावी होगा। जानिए इसका भारत-अमेरिका व्यापार पर क्या असर पड़ेगा।
अमेरिका-भारत व्यापारिक रिश्तों में फिर से तनाव, ट्रंप का बड़ा ऐलान
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने घोषणा की है कि भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया जाएगा, जिससे अब कुल आयात शुल्क 50% हो जाएगा। यह नया शुल्क 21 दिनों के भीतर लागू हो जाएगा।
ट्रंप का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका में चुनावी माहौल गर्म है और घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई जा रही है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अमेरिकी कंपनियों को विदेश से सस्ते उत्पादों से नुकसान हो रहा है और भारत जैसे देशों पर टैक्स बढ़ाकर उन्हें बराबरी का मौका दिया जाएगा।
भारत को क्यों निशाना बना रहे हैं ट्रंप?
ट्रंप हमेशा से "अमेरिका फर्स्ट" नीति के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल (2016-2020) में भी भारत, चीन, यूरोप जैसे देशों के खिलाफ टैरिफ बढ़ाए थे। अब उन्होंने दोबारा वही रणनीति अपनाई है। उनका मानना है कि भारत अमेरिका में बड़े पैमाने पर उत्पाद निर्यात करता है लेकिन बदले में अमेरिका को व्यापार घाटा उठाना पड़ता है।
ट्रंप ने अपने भाषण में यह भी आरोप लगाया कि भारत ने अमेरिकी तकनीक और ब्रांड्स को सस्ते विकल्पों से प्रतिस्पर्धा में डाल दिया है, जिससे अमेरिकी रोजगार पर असर पड़ा है। इसलिए अब भारत से आने वाले सामानों पर 50% शुल्क लगाना जरूरी है।
भारत पर इसका असर क्या होगा?
इस नए टैरिफ से सबसे ज्यादा असर भारत के उन सेक्टर्स पर पड़ेगा जो अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करते हैं:
टेक्सटाइल और गारमेंट्स: इनपर पहले ही 25% शुल्क था, अब 50% हो जाएगा।
ऑटो पार्ट्स और मशीनी उपकरण: अमेरिकी कंपनियां अब भारतीय पार्ट्स को खरीदने में हिचकेंगी।
फार्मास्युटिकल्स और आयुर्वेदिक उत्पाद: इन पर असर पड़ेगा, जिससे भारत की मेड-इन-इंडिया ब्रांडिंग को झटका लग सकता है।
आईटी सर्विस और सॉफ्टवेयर लाइसेंस: भले ही ये टैरिफ से सीधे प्रभावित न हों, लेकिन व्यापारिक रिश्तों में तनाव से इन क्षेत्रों की ग्रोथ धीमी हो सकती है।
क्या भारतीय सरकार जवाब देगी?
अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या भारत इस कदम के जवाब में कोई कार्रवाई करेगा? विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय ने अभी तक इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन जानकारों का मानना है कि भारत भी अमेरिकी उत्पादों पर बदले में टैरिफ बढ़ा सकता है या वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में शिकायत कर सकता है।
भारत के लिए यह आर्थिक ही नहीं बल्कि रणनीतिक भी मुद्दा है। अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं बल्कि दोनों देश रक्षा, तकनीक, निवेश और शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोगी हैं।
अमेरिका में ट्रंप की नीति पर अंदरूनी बहस
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले की अमेरिका में भी आलोचना हो रही है। कई अमेरिकी उद्योग संगठन मानते हैं कि इससे वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे और घरेलू उपभोक्ताओं को अधिक खर्च करना पड़ेगा। वहीं कुछ लॉबियों का मानना है कि इससे अमेरिकी उद्योगों को राहत मिलेगी।
ट्रंप समर्थक इसे देशभक्ति और घरेलू उत्पादन के हित में मानते हैं जबकि विरोधी इसे वैश्विक व्यापार नियमों के खिलाफ करार दे रहे हैं।
निष्कर्ष: व्यापार या राजनीति?
ट्रंप का यह कदम चुनावी रणनीति का हिस्सा है या वाकई अमेरिका को व्यापार घाटे से उबारने की कोशिश – यह कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन इतना तय है कि भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में फिलहाल तनाव बढ़ेगा। भारत को अब कूटनीतिक और रणनीतिक दोनों स्तर पर संतुलन बनाना होगा ताकि व्यापारिक नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
📢 आपका क्या मानना है? क्या भारत को जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए या बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए? कमेंट में बताएं।
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